लागत के तत्व और लागत का वर्गीकरण
(Elements of Cost and Classification of cost)
किसी भी वस्तु की उत्पादन लागत के लिए हमें सामग्री श्रम एवं अन्य व्ययों की आवश्यकता होती है, इन्ही को लागत के तत्व कहा जाता हैं। मुख्य रूप से लागत के तीन तत्व होते हैं:-
1.सामग्री
2.श्रम
3.व्यय
1.सामग्री (Material)- किसी भी वस्तु का निर्माण बिना सामग्री के नहीं किया जा सकता है। अतः लागत लेखों में सामग्री को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया है। सामग्री दो प्रकार की हेाती हैं।
a.प्रत्यक्ष सामग्री (Direct Material)- प्रत्यक्ष सामग्री से आशय ऐसी सामग्री से है जो वस्तु के उत्पादन के लिए प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग मे लायी जाती है ओैर निर्मित वस्तु का प्रमुख अंग होती है।
जैसे -मेज बनाने के लिए लकड़ी ,
कपड़ा बनाने के लिए जूट,
मशीन बनाने के लिए लोहा,
शक्कर बनाने के लिए गन्ना आदि प्रत्यक्ष सामग्रियाँ हैं।
b.अप्रत्यक्ष सामग्री (Indirect Material)- अप्रत्यक्ष सामग्री से आशय ऐसी सामग्री से है जो वास्तव मे निर्मित वस्तु का प्रमुख अंग नही बनती है परन्तु बिना इस सामग्री के निर्माण कार्य सुचारू रूप से नही चलाया जा सकता है ।
जैसे -एक कारखाने में यन्त्रोें को साफ करने का कपडा एवं तेल, कपड़ा सिलने का धागा ,
जूतों मे प्रयेाग होने वाली कीलें ,
किताबों की बाइन्डिग में प्रयोग होने वाला धागा आदि अप्रत्यक्ष सामग्रियाँ हैं।
2-श्रम(Labour)- वस्तुओं के निर्माण के लिए जो कार्य किया जाता है उसे श्रम कहते है यह दो प्रकार का हेाता है।
a.प्रत्यक्ष श्रम (Direct Labour)- जो श्रम सामग्री के रूप अथवा आकार अथवा प्रकार में परिवर्तन के लिए उपयोग में लाया जाता है उसे प्रत्यक्ष श्रम कहते हैं। इसका स्थान निर्मित वस्तु में उसी प्रकार है जिस प्रकार प्रत्यक्ष सामग्री का है।
जैसे- मेज बनाने में बढई का श्रम,
शक्कर का निर्माण करने वाले मजदूर का श्रम,
कपड़ा सिलने वाले टेलर का श्रम,
मकान निर्माण करने वाले मेशन का श्रम आदि।
b.अप्रत्यक्ष श्रम (Indirect Labour)- वह श्रम जिसका कोई भाग वस्तु के निर्माण में प्रत्यक्ष रूप से प्रयोग नहीं किया जाता है। अप्रत्यक्ष श्रम कहलाता है।
जैसे- फैक्ट्री के चैकीदार का श्रम,
निरीक्षक का श्रम,
पर्यवेक्षक का श्रम आदि।
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3 व्यय (Expenses)– व्ययों को सामग्री एवं श्रम की तरह ही दो भागों में बांटा गया है-
a.प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expenses)- प्रत्यक्ष व्ययों के अन्तर्गत वे समस्त व्यय आते हैं जो प्रत्यक्ष सामग्री एवं प्रत्यक्ष श्रम के सम्बंध में किए जाते हैं ,ये व्यय निर्मित वस्तु के साथ प्रत्यक्ष रूप से सम्बंधित होते हैं ,ऐसे व्यय जो उत्पादन से सम्बंध रखते हैं प्रत्यक्ष व्यय कहलाते हैं।
जैसे- सामग्री को क्रय के स्थान से लेकर कारखाने तक लाने के व्यय,
अधिकार शुल्क,
अनुसंधान पर व्यय आदि।
b.अप्रत्यक्ष व्यय (Indirect Expenses)- अप्रत्यक्ष व्यय वे व्यय होते हैं जो प्रत्यक्ष रूप से निर्मित वस्तु से सम्बंधित नहीं होते परन्तु इतने आवश्यक होते परन्तु इतने आवश्यक होते हैं कि जितने बिना वस्तु का निर्माण सम्भव नहीं होता है। जैसे-
1.कारखाने के व्यय/उपरिव्यय (Factory Expenses/overheads)- वे सभी व्यय जो कारखाने में वस्तु के निर्माण के सम्बंध में किए जाते हैं कारखाने के व्यय कहलाते हैं।
जैसेः- कारखाने का किराया, कारखाने का ईंधन व शक्ति, कारखाने की रोशनी, कारखाने का बीमा, प्लान्ट और मशीन पर ह्रास, कारखाने की इमारत की मरम्मत, कारखाने की इमारत की घिसावट, कारखाने की स्टेशनरी, कारखाने के मैनेजर का वेतन, अनुत्पादक मजदूरी, हाॅलेज (खिंचाई) संचालकों की कारखाने से सम्बंधित फीस आदि।
2.कार्यालय के व्यय/उपरिव्यय (Office Expenses/overheads)- ऐसे व्यय जो वस्तु को विक्रय योग्य बनाने तथा कारखाने के प्रबन्ध में किए जाते हैं ,उन्हें कार्यालय के उपरिव्यय कहते हैं।
जैसे- कार्यालय के कर्मचारियों का वेतन, संचालकों की फीस, कार्यालय का किराया, कार्यालय का बीमा, कार्यालय की स्टेशनरी, एवं छपाई कार्यालय के भवन पर ह्रास, टेलीफोन व्यय, बैंक व्यय, कानूनी व्यय, विविध व्यय, कार्यालय को गर्मियों में ठण्डा रखने का व्यय, सर्दियों में कार्यालय को गर्म रखने का व्यय, कार्यालय के भवन की मरम्मत, अन्य कार्यालय से सम्बंधित व्यय।
3.विक्रय के व्यय/उपरिव्यय (Selling Expenses/overheads)- वे व्यय जो वस्तु को बेचने में किए जाते हैं विक्रय के व्यय कहलाते हैं।
जैसे- विक्रय एजेन्ट का कमीशन, विज्ञापन व्यय, अशोध्य ऋण, नमूने पर किए गये व्यय, ग्राहकों को दी गयी छूट, बिक्री की दुकान में लगे हुए फर्नीचर पर ह्रास, अन्य विक्रय के व्यय।
4.वितरण अपरिव्यय/उपरिव्यय (Distribution Expenses/overheads)- बिक्री के लिए ग्राहकों तक माल पहुंचाने के लिए जो व्यय किए जाते हैं उन्हें वितरण के व्यय कहा जाता है।
जैसे ग्राहकों तक माल पहुुंचाने का गाड़ी भाड़ा, ग्राहकों तक माल पहुचंने वाली गाड़ियों के ड्राईवर का पारिश्रमिक, गाड़ियों के मरम्मत व्यय, गाड़ियों के पेट्रोल के व्यय आदि।
लागत का वर्गीकरण(Classification of cost)
मूल लागत (Prime cost) – प्रत्यक्ष सामग्री, प्रत्यक्ष श्रम और प्रत्यक्ष व्ययों के योग को मूल लागत कहा जाता है । अतः हम कह सकते हैं कि किसी वस्तु के निर्माण में जो प्रत्यक्ष सामग्री और प्रत्यक्ष श्रम का प्रयोग किया जाता है, यदि उसमें प्रत्यक्ष व्यय और जोड़ दिए जाते हैं तो इस प्रकार जो लागत आती है, वह मूल लागत कहलायेगी इसे Direct Cost/ Flat Cost/ First Cost भी कहा जाता है।
Prime cost= Direct Material+Direct Labour+Direct Expenses |
कारखाना लागत (Factory cost)- मूल लागत में कारखाने के व्ययों को जोड़ने पर जो लागत आती है उसे कारखाना लागत कहते हैं इसे Work Cost / Manufacture Cost भी कहा जाता है।
Factory cost= Prime cost+Factory overheads |
कार्यालय लागत (Office cost)-– कारखाना लागत में कार्यालय के व्ययों को जोड़ने पर जो लागत आती है उसे कार्यालय लागत कहा जाता है इसे के नाम से भी जाना जाता है।
Office Cost= Factory cost+Office overheads |
कुल लागत (Total Cost)- कार्यालय लागत में विक्रय एवं वितरण के व्ययों को जोड़ने पर जो लागत आती है उसे कुल लागत कहा जाता है।
Total Cost= Office cost+Selling and Distrubution overheads |
विक्रय मूल्य (Selling Price)- यदि कुल लागत में अनुमानित लाभ जोड़ दिया जाता है तो विक्रय मूल्य ज्ञात हो जाता है।
Selling Price = Total Cost+Estimated Profit |
प्रयोग की गयी सामग्री (Material Consumed)- कभी कभी कच्ची सामग्री का प्रारम्भिक रहतिया, कच्ची सामग्री का क्रय, सामग्री के क्रय पर व्यय एवं कच्ची सामग्री का अन्तिम रहतिया दिया रहता है तो ऐसी दशा में हमें प्रयोग की गयी सामग्री की गणना करनी होती है ।
Calculation of Material Consumed
Opening Stock of Raw Material | ………………………. |
Add:- Purchase of Raw Material | ……………………… |
Carriage on Purchases | ……………………… |
Import Duty and Octroi | ……………………… |
……………………… | |
Less:- Scrap of Material ……………… | |
Abnormal Wastage of Material ……………… | |
Closing Stock of Raw Material ……………… | ………………… |
Material Consumed | ………………… |