कम्पनी की अंश पूँजी ( Share Capital Of The Company)

कम्पनी की अंश पूँजी ( Share Capital Of The Company)

अंश पूँजी का आशय( Meaning Of Share Capital)सामान्य अर्थ में पूँजी का आशय उस विशिष्ट मौद्रिक राशि से है जो कि किसी व्यवसाय को प्रारम्भ करने तथा उसे सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक होती है ,प्रत्येक कम्पनी के पार्षद सीमानियम (Memorandum of Association) में उसकी पूँजी का उल्लेख रहता है ।

सीमित दायित्व वाली कम्पनी के सन्दर्भ में पूँजी का आशय अंश पूँजी से है।

कम्पनी की अंश पूँजी, धन का वह भाग जो उसके अंशधारियों (Shareholders) द्वारा कम्पनी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रदान किया जाता है।

अंश पूँजी  के प्रकार (Types of Share Capital)

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 43 के अनुसार, अंशों द्वारा सीमित कम्पनी की अंश पूँजी दो प्रकार की होगी, यथा –

(क) समता अंश पूँजी (Equity Share Capital)

1.मताधिकार के साथ( With voting right)

2.लाभांश, मत अथवा अन्य के मामले में भिन्न- भिन्न अधिकार

(ख)  पूर्वाधिकार अंश पूँजी (Preference Share Capital)

इस धारा के उद्देश्य हेतु –

1 समता अंश पूँजी से अभिप्राय समस्त अंश पूँजी से है जो पूर्वाधिकार अंश पूँजी नहीं है ।

2- पूर्वाधिकार अंश पूँजी से आशय कम्पनी की निर्गमित पूँजी के उस भाग से है जिसे निम्न के सम्बन्ध में अधिमानी अधिकार होता है या होगा –

क. एक निश्चित दर से लाभांश का भुगतान ।

ख. कम्पनी के समापन की दशा में समता अंशधारियों की पूँजी लौटाने के पहले पूँजी का भुगतान ।

कम्पनी की अंश पूँजी की प्रकृति (Nature Of Share Capital of a Company) Or 

अंश पूँजी की श्रेणियाँ (Classification Of Share Capital)

 अधिकृत या पंजीकृत या नामीय पूँजी (Authorised or Registered or Nominal Capital) जिस पूँजी से कम्पनी की रजिस्ट्री की जाती है उसे अधिकृत पूँजी या पंजीकृत पूँजी या नामीय पूँजी कहते हैं। इस पूँजी का उल्लेख कम्पनी के पार्षद सीमा नियम(Memorandum of Association)में पूँजी वाक्य (Capital Clause)  में होता है ।

कोई भी कम्पनी अपनी अधिकृत पूँजी से अधिक अंश पूँजी जारी नहीं कर सकती है। जैसे- एक कम्पनी का पंजीयन 200000 समता अंश  से हुआ और प्रत्येक अंश Rs.10 का है तो कम्पनी की अधिकृत पूंजी Rs.20,00,000 कहलायेगी।

 निर्गमित पूँजी(Issued Capital)- अधिकृत पूँजी का वह भाग जो जनता को बेचने के लिए जारी किया जाता है उसे निर्गमित पूँजी कहते हैं। जैसे- कम्पनी ने 200000 अंशों में से Rs.10 वाले 80000अंश  जनता को जारी कर दिये तो निर्गमित पूंजी Rs.8,00,000 कहलायेगी।

 अनिर्गमित पूँजी(UnIssued Capital)- अधिकृत पूँजी का वह भाग जो जनता को निर्गमित नहीं किया जाता है उसे अनिर्गमित पूँजी कहते हैं। जैसे- यहाँ पर Rs.10 वाले120000 अंश जनता को जारी नहीं किये गये हैं तो Rs.12,00,000 अनिर्गमित पूँजी कहलायेगी।

प्रार्थितअथवाअभिदत्तयाआबंटितपूँजी(Subscribed Capital)- निर्गमित पूँजी का वह भाग जिसे क्रय करने के लिए जनता ने प्रार्थना पत्र भेजे हैं प्रार्थित पूँजी कहलाती है। जैसे-जनता ने Rs.10  वाले 70000 अंशों को खरीदने के लिए प्रार्थना पत्र दिये तो 7,00,000 प्रार्थित पूँजी कहलायेगी।

 याचित पूँजी या माँगी गयी पूँजी (Called-up Capital)- प्रार्थित पूँजी का वह भाग जो जनता से माँगा गया है याचित या माँगी गयी पूँजी कहलाता है। जैसे- यदि जनता से प्रति अंश Rs.8 माँगा जाय तो 70000×8= Rs.5,60,000 माँगी गयी पूँजी कहलायेगी।

 अयाचित पूँजी या माँगी गयी पूँजी (Uncalled Capital)- प्रार्थित पूँजी का वह भाग जो जनता से माँगा नहीं गया है अयाचित या न माँगी गयी पूँजी कहलाता है। जैसे- यहाँ परRs.2 प्रति अंश अभी जनता से माँगा नहीं गया है तो 70000×2 Rs. 1,40,000 न माँगी गयी पूँजी कहलायेगी।

प्रदत्त या चुकता पूँजी (Paidup Capital)याचित पूँजी का वह भाग जो जनता ने कम्पनी को चुका दिया है  चुकता पूँजी कहलाता है। जैसे- यदि जनता ने Rs.7 प्रति अंश  चुकता कर दिया तो 70000×7= Rs. 4,90,000 चुकता पूँजी ( Paidup capital) कहलायेगी।

संचित या सुरक्षित पूँजी (Reserve Capital) अयाचित पूँजी का वह भाग जो विशेष प्रस्ताव पारित करके संचित कर दिया गया है संचित पूँजी कहलाता है। इस भाग को कम्पनी के समापन (Winding up of the company) के अतिरिक्त अन्य किसी भी दशा में नहीं माँगा जाता है।

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 65 के अनुसार ऐसी व्यवस्था की जा सकती है। संचित पूँजी को कम्पनी के चिट्ठे(Balance Sheet of the Company) में नहीं दिखाया जाता है।

कार्यशील पूँजी (Working Capital)- कार्यशील पूंजी दिन-प्रतिदिन के संचालन या किसी व्यावसायिक संगठन के कार्य करने के लिए आवश्यक पूंजी को संदर्भित करती है ।

चालू सम्पत्तियों का चालू दायित्वों पर आधिक्य कार्यशील पूँजी कहलाता (Working Capital) है।

कार्यशील पूँजी = चालू सम्पत्तियाचालू दायित्व

Working Capital= Current Assets- Current Liabilities

स्थिर पूँजी (Working Capital)- कम्पनी की पूँजी का वह भाग जो स्थायी सम्पत्तियों  में लगा होता है,स्थिर पूँजी कहलाता है।

जैसे- भूमि, भवन, संयंत्र और मशीनरी, फर्नीचर, फैक्टरी, वाहन, फिक्स्चर और फिटिंग आदि में निवेश की  पूँजी स्थायी पूँजी कहलायेगी।

अधिकृत पूँजी एवं निर्गमित पूँजी में अन्तर

( Difference between Authorised Capital and Issued Capital )

  • अधिकृत पूँजी यह वह राशि है जिसे पार्षद सीमा नियम (Memorandum of Association) में ‘ पूँजी वाक्य ‘ (Capital Clause) में दिखाया जाता है जिससे कम्पनी का पंजीकरण हुआ है, जबकि  यह पूँजी अधिकृत पूँजी का वह भाग होती है  जिसे जनता को अभिदान के लिए प्रस्तावित किया जाता है।  
  • अधिकृत पूँजी को पार्षद सीमा नियम में प्रदर्शित करना आवश्यक होता है, जबकि इसे पार्षद सीमा नियम में प्रदर्शित करना आवश्यक नहीं होता है ।
  • अधिकृत पूँजी का निर्धारण वर्तमान एवं भावी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है, जबकि  निर्गमित पूँजी  इसका निर्धारण वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है ।
  • अधिकृत पूँजी निर्गमित पूँजी से अधिक हो सकती है, जबकि निर्गमित पूँजी अधिकृत पूँजी से कभी भी अधिक नहीं हो सकती है ।                                                                                           

पूँजीगत संचय(Capital Reserve) – पूँजीगत संचय से आशय ऐसे संचयों से है जो पूँजीगत लाभों(Capital Profit) से बनाये जाते हैं।

स्थायी सम्पत्तियों के विक्रय से लाभ,अंशों एवं ऋणपत्रों के निर्गमन पर प्राप्त प्रीमियम,व्यवसाय को खरीदने से लाभ, ऋणपत्रों के भुगतान या षोधन से होने वाला लाभ, आदि पूँजीगत लाभों  से,  पूँजी संचय का निर्माण किया जाता है।   

पूँजीगत संचय को कम्पनी के चिट्ठे में दायित्व पक्ष  (Liabilities Side )संचय एवं अधिक्य (Reserve and Surplus Head) के अन्तर्गत दिखाया जाता है।

पूँजीगत संचय का उपयोग पूँजीगत हानियों (Capital losses) को अपलिखित(Written Off) करने और बोनस अंश जारी(Issue Of Bonus share) करने के लिए किया जाता है।

यदि कम्पनी को पूँजीगत लाभ हों तो, पूँजीगत संचयों का निर्माण करना अनिवार्य है।

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