TRIAL BALANCE – तलपट- ट्रायल बैलेंस- परीक्षा सूची – शेष परीक्षण

तलपट या शेष परीक्षण या परीक्षा सूची – TRIAL BALANCE

TRIAL BALANCE  – एक व्यापारी के यहां दिन-प्रतिदिन अनेक प्रकार के सौदे होते हें, और उन सौदों को जर्नल में लिखने के पश्चात् खाताबही में खोले गये अनेक खातों मे लिखा जाता है और यह कार्य अनेक लेखापाल करते हैं , इन सौंदों को जर्नल में लिखने और उनकी खतौनी हो जाने के उपरान्त व्यापारी यह जानना चाहता है कि, सौदों को लिखने में एवं खतौनी में कोई गणितीय अशुद्धि तो नहीं हुयी है, यह जांच करने के उद्देश्य से वह खाताबही में खोले गये खातों के योगों एवं शेषों  के माध्यम से एक विवरण पत्र तैयार करता है, इस विवरण पत्र  को ही तलपट या परीक्षा सूची या शेष परीक्षण या कच्चा आँकड़ा कहते है। तलपट को कुछ विद्धानों ने निम्न प्रकार से परिभाषित किया है-

   जे0 आर0 बाॅटलीबाय के अनुसार ’’ तलपट खाताबही के खातों के डेबिट और क्रेडिट शेषों का एक विवरण पत्र होता है जिसका उद्देश्य खातों की गणितीय शुद्धता की जाँच करना है।’’

  कार्टर के अनुसार- ’’ तलपट उन डेबिट एवं क्रेडिट बाकियों की एक सूची या अनुसूची है जो खाताबही के खातों से निकाली जाती है।’’

‘‘खाताबही में खोले गये खातों की गणित सम्बंधी शुद्धता की जांच करने के उद्देश्य से खाता बही के समस्त खातों के डेबिट एवं क्रेडिट के शेषों या योगों के आधार पर, किसी निश्चित तिथि को व्यापारी द्वारा जो परीक्षा सूची या विवरण पत्र बनाया जाता है, उसे तलपट या शेष परीक्षण या परीक्षा सूची कहा जाता है।’’

TRIAL BALANCE – तलपट- ट्रायल बैलेंस- परीक्षा सूची – शेष परीक्षण

तलपट की विशेषताएँ(Features of Trial Balance)-

  1. तलपट किसी विशेष तिथि को बनाया जाता है।
  2. तलपट खाताबही में खोले गये प्रत्येक खाते की सूची है।
  3. तलपट खातों के शेषों या योगों के द्वारा बनाया जाता है।
  4. तलपट के डेबिट और क्रेडिट खानों का योग समान होता है।
  5. तलपट एक विवरण पत्र या सूची है।
  6. तलपट के दोनों पक्षों का योग समान होने के बाद भी अशुद्धियां बनी रहती हैं।
  7. तलपट के आधार पर अंतिम खाते बनाये जाते हैं।
  8. तलपट सामान्यः वर्ष के अंत में बनाया जाता है।

तलपट बनाने के उद्देश्य (Objectives)-

  1. लेखों की गणितीय शुद्धता की जांच करना:- तलपट बनाने का सबसे प्रमुख उद्देश्य तो इस बात का पता लगाना है कि लेखा पुस्तकों में कोई गणितीय अशुद्धि तो नहीं हो गई।
  2. खतौनी की त्रुटियों का पता लगाना:- यदि खाता बही के खातों का शेष निकालने में कोई त्रुटि हो जाती है तो तलपट का मिलान नही ंहोगा। तलपट बनाने से खतौनी की त्रुटियों का पता लग जाता है।
  3. शेष निकालने की त्रुटियों का पता लगाना:- यदि खाता बही के खातों का शेष निकालने में कोई त्रुटि हो जाती है तो तलपट का मिलान नही ंहोता है। अतः तलपट बनाने से शेष निकालने सम्बंधित त्रुटि का पता लग जाता है।
  4. प्रारंभिक लेखों का परीक्षण: द्वि प्रविष्टि प्रणाली के अनुसार प्रत्येक सौद की प्रविष्टि सौदे से प्रभावित दोनों खातों में की जानी चाहिए, और समान रकम से की जानी चाहिए। यदि किसी सौदे की केबल डेबिट प्रविष्टि की गयी है तो तलपट का मिलान नही ंहोगा। अतः तलपट बनाने से प्रारम्भिक लेखों की प्रविष्टियों का सत्यापन हो जाता है।
  5. देनदारों एवं लेनदारों की सूची का परीक्षण: तलपट बनाने से देनदारों एवं लेनदारों के शेषों का सत्यापन हो जाता है। यदि लेनदारों एवं देनदारों की सूची बनाते समय कोई लेनदार या देनदार छूट गए हैं तो तलपट का मिलान नहीं होगा।
  6. अन्तिम खाते बनाने में उपयोगी:- तलपट बनाने का उद्देश्य अन्तिम खातों को तैयार करने के लिए उचित सामग्री प्रस्तुत करना है। तलपट तैयार कर लेने पर खाता बही की शुद्धता का ज्ञान हो जाता है। खाता बही तलपट तैयार करने का आधार है और तलपट के आधार पर अन्तिम खाते बनाये जाते हैं।
  7. खातों के शेषों का ज्ञान प्राप्त करना
  8. सभी खातांे का संक्षिप्त विवरण प्राप्त करना
  9. लाभ हानि खाता व चिट्ठा बनाने में सहायक होना

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तलपट से प्रकट होने वाली अशुद्धियाँ( Errors which trial Balance can locate)

  1. सहायक बहियों में जोड़ लगाने में होने वाली अशुद्धि
  2. सहायक बहियों के एक पृष्ठ का जोड़ अगले पृष्ठ पर ले जाने वाली अशुद्धि
  3. खाताबही में खतौनी करते समय होने वाली अशुद्धि जैसे- गलत रकम से खतौनी, गलत पक्ष में खतौनी, दो बार खतौनी आदि।
  4. खाताबही में खातों का शेष निकालते समय होने वाली अशुद्धि
  5. खाताबही के खातों का जोड़ करते समय होने वाली अशुद्धि
  6. खातो के शेष तलपट में हस्तान्तरित करते समय होने वाली अशुद्धि
  7. तलपट का जोड़ करते समय होने वाली अशुद्धि
  8. देनदारों की सूची बनाते समय होने वाली अशुद्धि
  9. लेनदारों की सूची बनाते समय होने वाली अशुद्धि
  10. तलपट का योग लगाने में होने वाली अशुद्धि

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तलपट से प्रकट न होने वाली अशुद्धियाँ

( Errors which  can not be located by trial Balance )

  1. छूट जाने वाली अशुद्धि
  2. सैद्धान्तिक अशुद्धि
  3. प्रारम्भिक लेखे की अशुद्धि
  4. क्षतिपूरक अशुद्धि
  5. गलत खाते में किन्तु सही पक्ष में खतौनी की अशुद्धि
  6. खतौनी से छूट जाने वाली अशुद्धि
  7. कपटपूर्ण अशुद्धियाँ
  8. दो बार प्रविष्टि होना

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तलपट बनाने की विधियाँ- Methods of Trial Balance

1.योग विधि (TOTAL METHOD OR GROSS TRIAL BALANCE METHOD):- इस विधि के अनुसार खाता बही के सब खातों के डेबिट और क्रेडिट पक्ष का योग कर दिया जाता है और तलपट में खातों का नाम लिख कर उनके सामने डेबिट पक्ष का योग (Debit Column)डेबिट स्तम्भ (खाने) में और क्रेडिट पक्ष का योग (Credit Column) क्रेडिट स्तम्भ (खाने) में लिखा जाता है और इसके पश्चात तलपट के दोनों पक्षों का योग निकाला जाता है यदि दोनों पक्षों का योग बराबर होता है तो यह माना जाता है कि तलपट सही है और खातों में गणित सम्बंधी अशुद्धता नहीं है।

तलपट बनाने की यह विधि अत्यन्त ही सरल है।इस विधि में तलपट का योग जर्नल के योग से मिल जाता है। इस विधि से बनाये गये तलपट के आधार पर अंतिम खाते नहीं बनाये जा सकते हैं। योग विधि से तलपट बनाने का प्रारूप निम्न प्रकार है-

EXAMPLE 1. By Total Method

TRIAL BALANCE
(Total Method)
As on  31st  March, 2020
      Name Of Accounts L.F. Debit Total

(Amount)

Credit Total

(Amount)

 

Cash Account

Machinery Account

Building Account

Capital Account

Purchase Account

Sales Account

Goodwill Account

Purchase Return Account

Sales Return Account

Depreciation Account

Wages Account

Salaries Account

Selling and distribution Account

Carriage inward Account

Drawing Account

Repairs Account

Rent Account

General Reserve Account

Debtors Account

Creditors Account

Bank Account

 

 

8,50,000

10,00,000

15,00,000

…………

16,00,000

…………

1,00,000

………….

50,000

1,00,000

20,000

50,000

1,25,000

25,000

50,000

12,000

18,000

…………

5,20,000

80,000

4,75,000

 

 

3,50,000

2,00,000

………..

20,10,000

30,000

26,00,000

…………

75,000

…………

…………

…………

…………

…………

…………

…………

…………

…………

3,00,000

1,20,000

4,80,000

4,10,000

 

                                   TOTAL 65,75,000 65,75,000

 

 2.शेष विधि (BALANCE METHOD OR NET TRIAL BALANCE METHOD): इस विधि में तलपट तैयार करते समय खातों के योगों के स्थान पर उनके शेषों को लिखा जाता है। जिस खाते का डेबिट शेष (Debit Balance) होता है उसकी रकम तलपट में डेबिट खाने (Debit Column)में और जिस खाते का क्रेडिट शेष(Credit Balance) होता है उसकी रकम तलपट में क्रेडिट खाने (Credit Column)में लिखी जाती है। समस्त खातों के शेषों को लिखने के पश्चात दोनों पक्षों के शेषों का योग किया जाता है। यदि योग समान हो तो तलपट सही माना जाता है और खातों में गणित सम्बंधी अशुद्धता नहीं रहती है।

यह विधि तलपट बनाने की महत्वपूर्ण विधि है। इस विधि के आधार बनाये गये तलपट के आधार पर ही अंतिम खाते बनाये जाते हैं।

शेष विधि से तलपट तैयार करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

क.     क्रय खाता, विक्रय वापसी खाता, प्रारंभिक रहतिया आदि का हमेशा डेबिट शेष (Debit Balance) होता है।

ख.    विक्रय खाता, क्रय वापसी खाता आदि का हमेशा क्रेडिट शेष (Credit Balance)होता है।

ग.     समस्त सम्पत्तियों ( All Assets) जैसे- रोकड़, मशीन, फर्नीचर, भवन, ख्याति, प्राप्य बिल, देनदार, पूर्वदत्त व्यय, फिक्चर्स एवं फिटिंग, मोटर, बैंक, विनियोग, कम्प्यूटर, उपार्जित आय आदि का हमेशा डेबिट शेष (Debit Balance) होता है।

घ.     समस्त दायित्वों  (All Liabilities)जैसे- पूंजी, लेनदार, देयबिल, अदत्त व्यय, ऋण, बंधक ऋण, बैंक अधिविकर्ष, अग्रिम आय आदि का हमेशा क्रेडिट शेष (Credit Balance) होता है।

ड.      समस्त प्रकार के व्ययों एवं हानियों (All Expenses And Losses) जैसे- मजदूरी, वेतन, व्यापारिक व्यय, सामान्य व्यय, डूबत ऋण, दिया गया  ब्याज, दिया गया कमीशन, दिया गया बट्टा, दिया गया किराया  डूबत ऋण, ह्यस पूँजी पर ब्याज , ऋण पर ब्याज,और अन्य समस्त प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष व्ययों का हमेशा डेबिट शेष (Debit Balance) होता है।

च.     समस्त प्रकार के आयों (All Income And Gains) जैसे- प्राप्त किराया, प्राप्त ब्याज, प्राप्त कमीशन, प्राप्त बट्टा, विनियोग पर ब्याज, विभिन्न प्रकार के लाभों आदि का हमेशा क्रेडिट शेष (Credit Balance) होता है।

छ.     विभिन्न प्रकार के संचयों  (All Types of Reserve) जैसे- पूँजी संचय, सामान्य संचय, ह्यस संचय, कर संचय, विनियोग भत्ता संचय, ऋणपत्रशोधन संचय, पूँजी शोधन संचय, डूबतऋणों के संचय आदि खातों का हमेशा क्रेडिट शेष (Credit Balance) होता है।  शेष विधि से तलपट बनाने का प्रारूप निम्न प्रकार है-

EXAMPLE 1. By Balabce Method

TRIAL BALANCE

(Balance Method)

As on  31st  March, 2020

      Name Of Accounts L.F. Debit Balance

(Amount)

Credit Balance

(Amount)

 

Cash Account

Machinery Account

Building Account

Capital Account

Purchase Account

Sales Account

Goodwill Account

Purchase Return Account

Sales Return Account

Depreciation Account

Wages Account

Salaries Account

Selling and distribution Account

Carriage inward Account

Drawing Account

Repairs Account

Rent Account

General Reserve Account

Debtors Account

Creditors Account

Bank Account

 

 

5,00,000

8,00,000

15,00,000

………….

15,70,000

………….

1,00,000

…………

50,000

1,00,000

20,000

50,000

1,25,000

25,000

50,000

12,000

18,000

…………

4,00,000

…………

65,000

 

 

………….

………….

 

20,10,000

………….

26,00,000

…………

75,000

…………

…………

…………

…………

…………

…………

…………

…………

…………

3,00,000

……….

4,00,000

……….

 

                                   TOTAL 53,85,000 53,85,000

 

Note- Generally , closing stock  does not appear in the Trial Balance.

3 .योग एवं शेष प्रणाली (TOTAL AND BALANCE METHOD): यह प्रणाली योग विधि और शेष विधि दोनों का सम्मिलित रूप है। इस प्रणाली में रकम के चार खाने होते हैं। प्रथम और द्वितीय खानों में खातों के क्रमशः डेबिट और क्रेडिट योग लिखे जाते हैं तथा तीसरे और चौथे खानों में खातों के क्रमशः डेबिट व क्रेडिट शेष लिखे जाते हैं। इसके पश्चात डेबिट और क्रेडिट योगों एवं शेषों का जोड़ कर लिया जाता है। योग समान होने पर यह माना जाता है कि तलपट सही है।

4. समान योग वाले खातों के योगों को छोड़कर तलपट बनाना:- इस विधि में तलपट योग विधि की तरह ही बनाया जाता है परन्तु इसमें उन खातों के योगों को नही लिखा जाता है जिनका योग समान होता है।

TRIAL BALANCE – तलपट- ट्रायल बैलेंस- परीक्षा सूची – शेष परीक्षण

 

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Important questions of fundamentals of partnership-2

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