प्रेषण खाते (Consignment Accounts)
प्रेषण से आशय (Meaning of consignment)
माल के स्वामी द्वारा या प्रेषक द्वारा या प्रधान द्वारा माल कमीशन के आधार पर बेचने के उद्देश्य से अपने एजेण्ट या प्रतिनिधि को भेजा जाता है, तो इसे प्रेषण ( Consignment) कहते हैं।
माल पर प्रेषक का ही स्वामित्व होता है, जोखिम स्वामी की ही होती है और लाभ-हानि के लिए प्रेषक ही उत्तरदायी होता है, शेष बचे माल पर प्रेषक का ही अधिकार होता है।
एजेण्ट को उसकी सेवाओं के लिए पारिश्रमिक के रूप में कमीशन दिया जाता है।
वह व्यक्ति जो माल का स्वामी होता है और एजेण्ट की नियुक्ति करता है प्रेषक (Consignor) या प्रधान कहलाता है।
वह व्यक्ति जो कमीशन के आधार पर माल बेचता है और जिसकी नियुक्ति प्रेषक करता है प्रतिनिधि या एजेण्ट या प्रेषणी (Consignee) कहलाता है।
प्रेषण की विशेषताएँ (Features Of Consignment)
- माल पर प्रेषक का स्वामित्व रहता है
- एजेण्ट को उसकी सेवाओं के प्रतिफल स्वरूप कमीशन मिलता है
- लाभ-हानि का दायित्व प्रेषक का होता है।
- एजेण्ट या प्रेषणी प्रधान के आदेशानुसार कार्य करता है
- एजेण्ट द्वारा विक्रय विवरण बनाकर प्रेषक को भेजा जाता हैा
- प्रधान प्रेषणी या एजेण्ट से कुछ अग्रिम राशि प्राप्त करता है
- एजेण्ट द्वारा किये गये व्ययों का भुगतान प्रेषक या प्रधान द्वारा करना
- बिना बिके माल की वापसी प्रतिनिधि द्वारा प्रेषक को करना
- माल की बिक्री के पश्चात् एजेण्ट द्वारा शेष राशि प्रेषक को भेजना
- प्रेषक द्वारा सूचनार्थ बीजक या कच्चा बीजक बनाकर एजेण्ट को भेजा जाता है
- प्रेषणी का यह कर्तव्य है कि वह माल की उचित देखभाल करे और यदि प्रेषणी की लापरवाही से माल को किसी भी प्रकार की क्षति होती है तो इसके लिए वह उत्तरदायी है। माल बिकने के पूर्व प्रेषणी का कोई उत्तरदायित्व नहीं होता है।
- प्रेषक बिना मूल्य प्राप्त किये माल एजेण्ट को बिक्री के उद्देश्य से भेजता है।
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प्रेषक या प्रधान(Consignor)-वह व्यक्ति जो माल का स्वामी होता है, एजेण्ट की नियुक्ति करता है,जोखिम सहन करता है तथा एजेण्ट द्वारा किये गये कार्यो के लिए उत्तरदायी होता है और लाभ-हानि के लिए जिम्मेदार होता है, प्रेषक या प्रधान या चालानकर्ता कहलाता है।
प्रेषणी या प्रतिनिधि या एजेण्ट (Consignee or Agent)- वह व्यक्ति जिसे प्रेषक द्वारा कमीशन के आधार पर माल बेचने के नियुक्ति किया जाता है, प्रेषणी या प्रतिनिधि या एजेण्ट या चालान पाता कहते हैं। प्रेषणी प्रेषक की ओर से माल का विक्रय करता है। लाभ-हानि का दायित्व प्रेषणी का नहीं होता है।
प्रेषण स्कन्ध ( Consignment Stock)- एक निश्चित अवधि के पश्चात् अथवा व्यापारिक वर्ष के अन्त में एजेण्ट के पास जो माल बिकने से रह जाता है उसे प्रेषण स्कन्ध (Consignment Stock) कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- प्रेषण पर भेजे गये माल में से जो माल प्रेषणी के बिकने से रह जाता है उसे प्रेषण स्कन्ध कहा जाता है। प्रेषण पर होने वाले लाभ अथवा हनि का निर्धारण करने के लिए प्रेषण स्कन्ध का मूल्यांकन करना आवश्यक होता है। प्रेषण स्कन्ध का मूल्यांकन बाजार मूल्य और लागत मूल्य दोनों में जो कम हो उस मूल्य पर किया जाता है,इसे प्रेषणी की पास स्कन्ध( Stock with Agent) भी कहा जाता है।
प्रेषण स्कन्ध( Consignment Stock) का मूल्यांकन करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखा जाता है-
- सर्वप्रथम शेष बचे माल की मात्रा का निर्धारण किया जाता है।
- इसके पश्चात् शेष बचे माल का लागत मूल्य ज्ञात किया जाता है।
- शेष बचे माल के लागत मूल्य में प्रेषक द्वारा किये गये समस्त प्रत्यक्ष व्ययों का आनुपातिक भााग जोड़ा जाता है।
- शेष बचे माल के लागत मूल्य में प्रेषणी द्वारा किये गये माल छुड़ाने से लेकर गोदाम तक ले जाने के व्ययों का अनुपातिक भाग जोड़ा जाता है।
- प्रेषक के वे व्यय जो प्रेषण स्कन्ध की गणना में जोड़े जाते हैं- माल की पैकिंग के व्यय, रेलभाड़ा,बीमा व्यय, चुंगी व्यय अन्य प्रत्यक्ष व्यय आदि।
- प्रेषणी के वे व्यय जो प्रेषण स्कन्ध की गणना में जोड़े जाते हैं- माल छुड़ाने के व्यय,चुंगी व्यय, गोदाम तक ले जाने का भाड़ा तथा अन्य प्रत्यक्ष व्यय आदि।
7.प्रेषण स्कन्ध की गणना करते समय सामान्य क्षय का ध्यान भी रखा जाता है।
- प्रेषण स्कन्ध की गणना करते समय आसामान्य क्षय का ध्यान भी रखा जाता है।
कच्चा बीजक या सूचनार्थ या दर्शनार्थ बीजक(Proforma Invoice)-माल के स्वामी द्वारा या प्रेषक द्वारा एक बीजक बनाकर अपने एजेण्ट या प्रतिनिधि को भेजा जाता है जिसे कच्चा बीजक कहते हैं। इसे सूचनार्थ बीजक भी कहा जाता है। इसमे भेजे गये माल की प्रकृति, मात्रा, मूल्य आदि का विवरण दिया होता है।
कभी कभी इस बीजक में प्रेषित माल का प्रस्तावित बिक्री मूल्य भी लिखा होता है, जिसे बीजक मूल्य( Invoice Price) कहा जाता है। बीजक मूल्य का निर्धारण लागत मूल्य में अनुमानित लाभ जोड़कर किया जाता है।
बिक्री विवरण (Account Sale)-प्रेषणी अपने प्रधान या प्रेषक की ओर से माल का विक्रय करता है और एक निश्चित अवधि के पश्चात् वह बेचे गये माल का विवरण बनाकर प्रेषक को भेजता है जिसे बिक्री विवरण कहा जाता है। इस विवरण में बेचे गये माल की मात्रा, माल का मूल्य और प्रेषणी द्वारा प्रेषक की ओर से किये गये व्यय, प्रेषणी का कमीशन, अग्रिम राशि और शेष राशि का उल्लेख होता है।
प्रेषण व्यय(Consignment Expenses)-प्रेषण के सम्बन्ध में प्रेषक और प्रेषणी द्वारा जो भी व्यय किये जाते हैं, प्रेषण व्यय कहलाते हैं। जैसे पैकिंग व्यय, रेलभाड़ा, बीमा व्यय, माल की सुपुर्दगी लेने के व्यय, चुंगी व्यय, गोदाम किराया, बिक्री व्यय और प्रेषण सम्बन्धी अन्य व्यय आदि।
प्रेषण व्यवहार (Cnsignment Transactions)-प्रेषण के सम्बन्ध में प्रेषक और प्रेषणी के मध्य होने वाले व्यवहारों को प्रेषण सम्बन्धी व्यवहार कहते हैं। प्रेषण के सम्बन्ध में होने वाले व्यवहारों का लेखा प्रेषक(Consignor) तथा प्रेषणी (Consignee) की पुस्तको में किया जाता है।
प्रेषणी या एजेण्ट का कमीशन( Commission of Consignor or Agent)-प्रेषक की ओर से माल बेचने के लिए प्रेषणी को दिया गया पुरस्कार उसकी सेवाओं का प्रतिफल या पारिश्रमिक, कमीशन कहलाता है।
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